सफर वही तक जहाँ तक तुम हो, नज़र वही तक जहाँ तक तुम हो, वैसे तो हज़ारों फूल खिलतें हैं गुलशन में मगर,खुशबू वही तक जहाँ तक तुम हो
भंवर से निकल कर एक किनारा मिला है, जीने को फिर एक सहारा मिला है, बहुत कश्मकश में थी ये जिंदगी मेरी, अब इस जिंदगी में साथ तुम्हारा मिला है।
धीरे से आकर हमारे दिल में उतर जाते हो, खुशबू की तरह मेरी सांसो में बिखर जाते हो, अब तो तुम्हारे इश्क में ये हाल हो गया है, सोतें जागते बस तुम ही तुम नजर आते हो।
मोहब्बत की कहूँ देवी या तुमको बंदगी कह दूँ, बुरा मानो न गर हमदम तो तुमको ज़िन्दगी कह दूँ
जी चाहे कि दुनिया की हर एक फ़िक्र भुला कर, दिल की बातें सुनाऊं तुझे मैं पास बिठाकर।
कुछ यूँ उतर गए हो मेरी रग-रग में तुम, कि खुद से पहले एहसास तुम्हारा होता है।
चाहत बन गए हो तुम, कि आदत बन गए हो तुम, हर सांस में यूं आते जाते हो जैसे मेरी इबादत बन गए हो तुम।